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A project of the Non-profit International Press Syndicate Group with IDN as the Flagship Agency in partnership with Soka Gakkai International in consultative status with ECOSOC

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Photo: Farmer House—Indo-Fijian cane farmer's house (on top) and abandoned house and property (in foreground) after the expiry of the land lease.

भूमि को लीज पर देने की प्रणाली फीजी में गन्ने की खेती की स्थिरता के लिए खतरा है।

Kalinga Seneviratne द्वारा

सुवा, फिजी (IDN) —हालांकि गन्ना दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र के द्वीप-समूहों के लिए स्वदेशी माना जाता है, लेकिन वो अंग्रेज थे जिन्होंने 19वीं सदी के उत्तरार्ध में इसे एक नगदी फसल के रूप में उपजाना शुरू किया था। 1879 की शुरुआत में 37 सालों की अवधि के दौरान, वे नए तौर पर स्थापित खेती के लिए 5 साल के अनुबंध पर नाम मात्र या बिना वेतन के गिरमिटिया मजदूरों की तरह काम करने के लिए लगभग 60,000 भारतीयों को उनके घरों से 700 मील से भी ज्यादा दूरी पर लेकर आए।

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किसी भी आगामी परमाणु संदूषण के खिलाफ नीले प्रशांत की रक्षा

नीना भंडारी

सिडनी (आईडीएन) — प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक नीति संगठन, पैसिफ़िक आइलैंड्स फोरम (पीआईएफ) ने परमाणु मुद्दों पर वैश्विक विशेषज्ञों का एक पैनल नियुक्त किया है। यह प्रशांत महासागर में दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से उपचारित परमाणु अपशिष्ट जल को प्रशांत महासागर में छोड़ने के जापान के इरादों के बारे में जापान के साथ चर्चा में प्रशांत देशों को स्वतंत्र वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह प्रदान करता है।

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श्रीलंका: सरकार की बुरी तरह से नियोजित जैविक खेती नीति चावल किसानों को परेशान करती है

आर.एम.समनमली स्वर्णलता द्वारा

पोलोन्नारुवा, श्रीलंका (आईडीएन) — श्रीलंका सरकार की बुरी तरह से नियोजित जैविक खेती नीति जिसने खेतों में रासायनिक उर्वरक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, ने इस चावल उगाने वाले क्षेत्र और सत्तारूढ़ गठबंधन के राजनीतिक गढ़ में किसानों को परेशान किया है। इस नीति की कृषि विशेषज्ञों ने भी आलोचना की है, जिन्होंने चेतावनी दी है कि श्रीलंका की खाद्य सुरक्षा दांव पर है।

मिनेरिया एकीकृत किसान संगठन के अध्यक्ष अनिल गुणावर्धना का तर्क है कि सरकारी जैविक उर्वरक कार्यक्रम पूरी तरह से विफल है क्योंकि इसकी घोषणा बिना किसी उचित कार्यक्रम और कार्य योजना के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गई थी। “सरकार की मूल योजना इस जैविक खेती को दस साल के समय में हासिल करना था। हालांकि, किसानों के साथ बिना किसी चर्चा के उन्होंने महत्वपूर्ण रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया,” वे शिकायत करते हैं।

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विश्वविद्यालयों को एक विशेषाधिकार के बजाय और अधिक सुलभ होने की आवश्यकता है

कलिंग सेनेविरत्ने द्वारा

सिडनी (आईडीएन) — यदि हम महामारी के बाद के युग में एक बेहतर दुनिया बनाने जा रहे हैं तो उच्च शिक्षा (एचई) प्रणालियों को अधिक लचीला और सुलभ बनाने की आवश्यकता है, और सरकारों को यह समझने की जरूरत है कि अधिक न्यायसंगत और सामाजिक रूप से स्थिर समाजों के निर्माण के लिए सार्वजनिक विश्वविद्यालय क्षेत्र का वित्त पोषण आवश्यक है।

यह वह संदेश है जो वर्ल्ड एक्सेस टू हायर एजुकेशन डे (डब्ल्यूएएचईडी) से स्पष्ट रूप से सामने आया है — लंदन से समन्वित और 17 नवंबर को आयोजित किया गया एक दिवसीय आभासी सम्मेलन, जिसका शीर्षक था “2030 में विश्वविद्यालय कौन जाएगा?”।

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वैश्विक भूख को जड़ों से निपटना

भिक्खू बोधी का दृष्टिकोण

वैश्विक भूख से निपटने के लिए ज़रूरी है हम उसकी मूलभूत कारणों को पहचानें और उसका जड़ों से ख़ात्मा करें. भिक्खू बोधी लिखते हैं, इसके लिए न केवल परिवर्तनकारी नीतियों को अपनाना आवश्यक होगा, बल्कि हमारे अपने मूल्यों और दृष्टिकोणों में भी मौलिक परिवर्तन लाना ज़रूरी होगा.

न्यूयॉर्क (आइडीएन) – बुद्ध यह सिखाते हैं कि किसी भी समस्या का प्रभावी ढंग से हल करना है तो हमें उसके अंतर्निहित कारणों को दूर करना होगा. जब अस्तित्वगत पीड़ा को ख़त्म करने के लिए बुद्ध स्वयं इस सिद्धांत को लागू करते हैं, उसी पद्धति का उपयोग ऐसी कई चुनौतियों से निपटने के लिए किया जा सकता है जिनका सामना हम अपने जीवन के सामाजिक और आर्थिक आयामों में कर रहे हैं. चाहे वो नस्लीय अन्याय हो, आर्थिक विषमताएं हों या फिर जलवायु विघटन, इन समस्याओं का हल करने के लिए हमें सतह के नीचे गहराई तक जाकर जड़ों को उखाड़ फेंकना होगा जहां से वे पैदा हो रही

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ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने आईपीसीसी(IPCC) रिपोर्ट की चेतावनी पर कार्रवाई के बजाय बयानबाजी से प्रतिक्रिया दी।

कलिंगा सेनेविरत्ने द्वारा

सिडनी (आईडीएन)- जलवायु परिवर्तन(IPCC)पर अंतर- सरकारी पैनल द्वारा जारी सबसे व्यापक रिपोर्ट ने प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है, जहां समुद्र के बढ़ते स्तर और बढ़ते तापमान द्वीप राष्ट्रों को मिटा सकते हैं और शुष्क निवास स्थानों को निर्जन बना सकते हैं। लेकिन इस क्षेत्र की दो प्रमुख शक्तियों- ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड- ने क्षेत्र को बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई लागू करने के बजाय रक्षात्मक बयान दे कर इस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

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कोविड से बुरी तरह से ग्रस्त भारत संकट से जूझने की मुश्किल में

शास्त्री रामचंदरन द्वारा*

नई दिल्ली (आईडीएन) — भारत में कोविड-19 के संक्रमणों और मौतों की सुनामी बेखटके बढ़ती जा रही है जबकि लोग और केंद्र तथा राज्य सरकारें अस्पताल के बिस्तरों, दवाईयों, वेंटिलेटरों और इस संकट को काबू में लाने के लिए जरूरी अन्य सभी वस्तुओं की कमी से संघर्ष करने में लगी हुई हैं। भयावह मौतों और मरने वालों की दुर्दशा ने भी लोगों में डर का माहौल उत्पन्न कर दिया है जहाँ वे नहीं जानते कि वह कब, कहाँ और किस पर, किस रूप में हमला कर सकता है; और, यह कि वे या उनके प्रियजन इससे ग्रस्त हो जाते हैं तो वे उससे कैसे मुकाबला करेंगे।

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नवीकरणीय ऊर्जा ग्लोबल एनर्जी ट्रांजीशन (Global Energy Transition) की बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं

जे डब्ल्यू जैकी द्वारा

रेनो, नेवादा, यूएसए (IDN) — नवीनतम अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी IRENA के विश्लेषण बताते हैं कि वर्ष 2050 तक, वैश्विक कुल विद्युत् आपूर्ति पर पवन और सौर पीवी जैसे परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा का प्रभुत्व होगा। IRENA के वर्ल्ड एनर्जी ट्रांज़िशन आउटलुक से मिलने वाली यह जानकारी बर्लिन एनर्जी ट्रांज़िशन डायलॉग में 16-17 मार्च, 2021 को जारी की गई थी।

163 सदस्यों के साथ, IRENA जानकारी और नवाचार के लिए उत्कृष्टता के केंद्र, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वैश्विक आवाज, नेटवर्क हब और देशों के लिए सलाह और समर्थन के स्रोत के तौर पर ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

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Photo: Kamukunji Community gathering.

स्कूल खुलने को लेकर केन्या की पुमवानी झुगी-बस्तियों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं

फ्रांसिस किन्युआ द्वारा*

नाइरोबी (IDN) – नौ महीने बंद रहने के बाद, एक नए सत्र की शुरुआत करने और COVID-19 की विश्वव्यापी महामारी के परिणामस्वरूप 2020 में बाधित हुए विद्यालय वर्ष को फिर से शुरू करने के लिए केन्या के स्कूल फिर से खुले। 4 जनवरी की सुबह, रास्तों पर उल्लसित बच्चों के झुंड रंगबिरंगी पोशाकें पहनकर अपने स्कूल जाते हुए देखे गए।

बच्चे फिर से स्कूल जाने को लेकर उत्साहित थे। न्यू पुमवानी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाली, केट की 12 वर्ष की बेटी ने कहा कि, घर पर रहना थकाने वाला और उबाऊ अनुभव था। उसने कहा, “मैं फिर से पढ़ना चाहती थी, मुझे मेरे सहपाठियों व शिक्षकों की याद आती थी, और मैं फिर से स्कूल लौटकर खुश हूँ।”

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विस्मृत एचआईवी/एड्स वैश्विक महामारी

सोमर विजयदास का दृष्टिकोण*

न्यूयॉर्क (IDN) – वर्ष 1981 में, अमेरिका में एचआईवी/एड्स की पहली बार पहचान की जाने के बाद से, एचआईवी से लगभग 7 करोड़ 60 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, और लगभग 3 करोड़ 50 लाख लोग एड्स के कारण मर चुके हैं — आजतक की मृत्यु की सबसे बड़ी वैश्विक संख्या — और यह आधुनिक चिकित्सा के इतिहास में दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक विषयों और भयभीत करने वाले व विवादस्पद रोगों में से एक भी है।

हालांकि, इस वर्ष, जानलेवा कोरोनावायरस (COVID-19) दुनियाभर में अब तक 6 करोड़ 50 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है और इसके कारण 15 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

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