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विस्मृत एचआईवी/एड्स वैश्विक महामारी

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सोमर विजयदास का दृष्टिकोण*

न्यूयॉर्क (IDN) – वर्ष 1981 में, अमेरिका में एचआईवी/एड्स की पहली बार पहचान की जाने के बाद से, एचआईवी से लगभग 7 करोड़ 60 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, और लगभग 3 करोड़ 50 लाख लोग एड्स के कारण मर चुके हैं — आजतक की मृत्यु की सबसे बड़ी वैश्विक संख्या — और यह आधुनिक चिकित्सा के इतिहास में दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक विषयों और भयभीत करने वाले व विवादस्पद रोगों में से एक भी है।

हालांकि, इस वर्ष, जानलेवा कोरोनावायरस (COVID-19) दुनियाभर में अब तक 6 करोड़ 50 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है और इसके कारण 15 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

COVID-19 ने हमें न केवल हमारे आसपास घटने वाली बाकी सभी घटनाओं के प्रति असंवेदनशील कर दिया है बल्कि यह दुनियाभर में लाखों लोगों की मृत्यु के कारण एचआई और अन्य महामारियों और रोगों को भी प्रभावित करता है।

आज, संपूर्ण विश्व का ध्यान वैश्विक महामारी से लोगों के जीवन और आजीविकाओं पर असर और असमानता, मनवाधिकारों, सामाजिक व आर्थिक असमानताओं जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ स्वास्थ्य के अंतर-संबंध पर केन्द्रित है।

हर साल, 1 दिसंबर को, लोग एचआईवी के साथ जीवन व्यतीत कर रहे लोगों के प्रति अपना समर्थन दर्शाने और एड्स से संबंधित बिमारियों के कारण मर चुके लोगों को याद करने के लिए एक विशिष्ट थीम के साथ विश्व एड्स दिवस मनाते हैं। 

इसलिए, कठिन समय के बावजूद यह सबसे उचित है कि HIV/AIDS पर यूनाइटेड नेशंस जॉइंट प्रोग्राम (UNAIDS) ने इस वर्ष के विश्व एड्स दिवस के लिए थीम के रूप में “वैश्विक समन्वय, साझा उत्तरदायित्व” को चुना है।

विश्व एड्स दिवस पर अपने संदेश में, UNAIDS की कार्यकारी निदेशक विनी ब्येनयीमा ने कहा कि, “COVID-19 पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में दुनिया द्वारा अर्जित की गई प्रगति के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है, जिसमे हमारे द्वारा एचआईवी के विरुद्ध अर्जित गई प्रगति भी शामिल है”।

UNAIDS के अनुसार, महामारी के शुरू होने से लेकर वर्ष 2019 के अंत तक, एचआईवी से लगभग 7 करोड़ 57 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और एड्स से संबंधित बिमारियों से 3 करोड़ 27 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

वर्ष 2019 में, दुनियाभर में एचआईवी से संक्रमित 3 करोड़ 80 लाख लोग मौजूद थे, 17 लाख लोग नए-नए संक्रमित हुए थे और 6,90,000 लोगों की मृत्यु एड्स से संबंधित बिमारियों के कारण हुई थी।

यह सुनने में आ रहा है कि हर सप्ताह, 15-24 वर्ष की आयु की लगभग 5,500 युवा महिलाएं एच आईवी से संक्रमित हो जाती हैं, और यह कि सब-सहारन अफ्रीका में, 15-19 वर्ष के किशोर-किशोरियों में होने वाले संक्रमणों में हर 6 में से 5 लड़कियाँ होती हैं। वर्ष 2019 में, एचआईवी संक्रमणों से ग्रसित होने वाले लोगों में लगभग 48% महिलाएं और लड़कियाँ थीं।

वर्ष 2016 में “एड्स को समाप्त करने” के संबंध में हुई संयुक्त राष्ट्र की उच्च-स्तरीय बैठक में देशों ने वर्ष 2020 के अंत तक एचआईवी के लिए उपचार प्राप्त कर रहे लोगों की संख्या में वृद्धि करके इसे 3 करोड़ तक लाने की प्रतिज्ञा ली थी।

वर्ष 2010 की तुलना में उपचार प्राप्त करने वालों की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है जोकि प्रभावशाली है। हालांकि, जून 2020 तक केवल 2 करोड़ 60 लाख लोगों को ही एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी प्राप्त हो रही थी — जोकि वर्ष 2020 की समाप्ति तक के लक्ष्य से 40 लाख कम है।

एचआईवी/एड्स की पहचान होने के लगभग 40 वर्ष बाद, और इस प्राणघातक वायरस को समाप्त करने के लिए एक संयुक्त प्रयास प्रदान करने के लिए बनाए गए UNAIDS के निर्माण के 25 वर्ष बीत जाने के बाद, वर्तमान डेटा अभी भी अपेक्षाओं से कम है, और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में UNAIDS के पहले निदेशक और प्रतिनिधि के रूप में यह मेरे लिए अत्यंत तकलीफदेह है।

[ध्यान रहे: इस लेख में वर्णित एचआईवी/एड्स से संबंधित सभी आँकड़े UNAIDS के हैं।]

इसकी अपक्षपातपूर्ण रूप से लोगों को मारने की शक्ति के अतिरिक्त, कोरोनावायरस दुनियाभर में लाखों लोगों मारने वाले एचआईवी/एड्स, ट्यूबरक्युलोसिस और मलेरिया जैसे अन्य रोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधानों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।

पिछले महीने (नवम्बर 2020), COVID-19 के कारण बढ़ती हुई मृत्युओं की संख्या के समय, “द बिग्गेस्ट मॉन्स्टर इज़ स्प्रेडिंग। एंड इट्स नोट द कोरोनावायरस” के शीर्षक के साथ न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक लेख ने मुझे यह अहसास करवाया कि COVID-19 वैश्विक महामारी दुनियाभर के सबसे अधिक कमजोर समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है और एचआईवी, ट्यूबरक्युलोसिस, मलेरिया, और अन्य रोगों के उपचार से संबंधित प्रगति को बाधित कर रही है।

यह लेख कहता है कि: “यह हल्के बुखार और बेचैनी के साथ शुरू होता है, इसके बाद तकलीफदेह खाँसी होती है और साँस लेने में परेशानी होती है। यह संक्रमण भीड़ में फैलता है, और अधिक नज़दीक मौजूद लोगों को संक्रमित करता है। इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित लोगों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने, के साथ-साथ कई सप्ताह या महीनों तक अलग रखने और उपचार करने की आवश्यकता होती है। यह घातक रोग दुनिया के हर हिस्से में पहुँच गया है। ट्यूबरक्युलोसिस वह सबसे बड़ा संक्रामक रोग है जिसके कारण दुनियाभर में प्रतिवर्ष 15 लाख लोगों की मृत्यु होती है”।

उदाहरण के लिए, एचआईवी/एड्स के कारण प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख लोगों और ट्यूबरक्युलोसिस के कारण 15 लाख लोगों की मृत्यु होती है। मलेरिया के कारण आज भी प्रतिवर्ष कई सैंकड़ों हज़ारों लोगों की मृत्यु होती है, जिनमे से दो-तिहाई पाँच से कम उम्र के बच्चे होते हैं।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2016 में, अनुमानित रूप से 21 करोड़ 60 लाख लोग उपचार के लिए क्लिनिक में आए, और 4,45,000 लोगों की मृत्यु हुई। प्रचलित भ्रांतियों के बावजूद, यह पुराने समय के रोग नहीं हैं।

COVID-19 वैश्विक महामारी के परिणामस्वरूप अन्य प्रमुख रोगों के निदान एवं उपचार में बड़ी गिरावट आई है क्योंकि कई अत्यावश्यक सेवाओं (क्लिनिक और प्रयोगशालाएं) को COVID-19 से लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। 

लगभग सभी देशों में, COVID-19 के लॉकडाउन, लोगों के एकत्रित होने पर पाबंदियों, परिवहन के रुकने, नए वायरस के लिए इस्तेमाल किए जा रहे संसाधनों, अक्सर COVID-19 के समान लक्षण प्रदर्शित करने वाले टीबी या मलेरिया से ग्रसित होने के संदिग्ध लोगों को देखने में स्वास्थ्य कर्मियों की अनिच्छा के कारण एचआईवी, ट्यूबरक्युलोसिस और मलेरिया से संबंधित गतिविधियाँ अस्त-व्यस्त हो रही हैं।

और सबसे महत्वपूर्ण, लगभग सभी देश इसके आर्थिक परिणामों से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं – इसके कारण स्वास्थ्य-सेवा संबंधी महत्वपूर्ण सेवाओं को बनाए रखने के लिए अत्यावश्यक मानवीय और वित्तीय संसाधन सीमित हो गए हैं।

ये एचआईवी, टीबी और मलेरिया के रोगियों, जिन्हें निरंतर चिकित्सीय देखरेख, सेवा और उपचारों की आवश्यकता होती है, के लिए दुर्गम अवरोध हैं।

वैज्ञानिकों के अनुसार, “वर्तमान दर पर, COVID-19 के कारण हर महीने उतनी ही संख्या में लोगों की मृत्यु हो रही है जितनी संख्या में एचआईवी, ट्यूबरक्युलोसिस और मलेरिया को मिलाकर होती है।”

यद्यपि वैज्ञानिक शोध और उपचार में बहुत बड़ी उन्नतियाँ एचआईवी/एड्स से बचने के लिए कोई टीका खोज पाने में विफल रही हैं, अंततया Pfizer, Moderna, AstraZeneca, और तैयार किए जा रहे अन्य दर्जनों आशाजनक टीकों के कारण हमारे पास COVID-19 को समाप्त करने के लिए आशा की एक किरण है।

जैसा की एचआईवी/एड्स के मामले में है, सभी वैश्विक महामारियों के लिए यह मार्गदर्शक कहावत कही जाती है कि “हम कहीं भी वैश्विक महामारी का अंत केवल तभी कर पाएंगे जब हम हर जगह वैश्विक महामारी का अंत कर पाएंगे”। संपूर्ण विश्व का एक ही लक्ष्य है: दुनियाभर में एचआईवी/एड्स, COVID-19 और अन्य सभी रोगों के मामलों की संख्या शून्य कर देना।

विश्व एड्स दिवस के लिए इस वर्ष की थीम के बारे में याद दिलाते हुए, विनी ब्येनयीमा ने कहा: “केवल वैश्विक समन्वयता और साझा उत्तरदायित्व ही हमें कोरोनावायरस को हराने, एड्स की महामारी को समाप्त करने और सभी के लिए स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी देने में सहायता कर पाएंगे।”

उनका कहना है कि “COVID-19 वैश्विक महामारी एचआईवी के लिए किए जाने वाले निवेश को बंद करने का बहाना नहीं बननी चाहिए,” और यह कि “इसकी आशंका है कि एड्स के उपचार में कठिनता से प्राप्त की गई अब तक की सफलताओं का COVID-19 के विरुद्ध लड़ने के लिए त्याग कर दिया जाएगा, किन्तु स्वास्थ्य के अधिकार का अर्थ है कि एक रोग की कीमत पर किसी दूसरे रोग के विरुद्ध लड़ाई नहीं लड़ी जानी चाहिए”।

*सोमार विजयदास, एक अंतरराष्ट्रीय विधिवक्ता (वकील) हैं जिन्होंने IAEA और FAO (1973-1985) के लिए कार्य किया है, और वे 1985-1995 तक संयुक्त राष्ट्र आमसभा में UNESCO के प्रतिनिधी रहे हैं, और वे UNAIDS न्यूयॉर्क कार्यालय के निदेशक थे, वे 1995-2000 के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ में UNAIDS के प्रतिनिधि रहे हैं। [IDN-InDepthNews – 03 दिसम्बर 2020]

फोटो: संयुक्त राष्ट्र में विश्व एड्स दिवस पर बोलते हुए सोमर विजयदास – 1998।

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