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‘स्मार्ट खेत’ थाई कृषि को पर्याप्त तथा चिरस्थायी बना रहे हैं

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कलिंगा सेनेविरातने द्वारा

चन्थाबुरि, उत्तर-पूर्व थाईलैंड (idn) – राज्य की जीवन शक्ति – कृषि और उसके छोटे पैमाने के किसानों को निकट भविष्य में चिरस्थायी बनाने के लिए ‘पर्याप्तता अर्थव्यवस्था’ की बौद्ध अवधारणा में एकीकृत आधुनिक (सूचना संचार प्रौद्योगिकी ICT) द्वारा समर्थित “स्मार्ट खेत” फार्मूले के तहत थाई किसान बुनियादी बातें अपना रहे हैं।

अपनी प्रचुर बहु-फसल डुरियन खेती में यहां IDN से बात करते हुए किसान सिटिपॉन्ग यनासो का कहना है कि “कुछ किसान रासायनिक उर्वरकों का उपयोग [अपने पेड़ों से] अधिक फल पाने के लिए करते हैं (लेकिन) उनके तने तीन से पांच साल में मर जाते हैं। हम यहाँ जैविक उर्वरक का उपयोग करते हैं और हमारे तने 30 वर्षों तक चलेंगे”।

अपनी खेती के चारों ओर हरियाली से भरे पर्वतों की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं कि “हमें हमारे उर्वरकों के लिए पर्याप्त सूखे पत्ते मिल जाते हैं। अपने डुरियन वृक्षों के बीच लगे हुए केले के वृक्षों को दिखाते हुए, वह समझाते हैं कि फसल की कटाई करने के बाद तनों का उपयोग किया जाता है, एक तकनीक जो हमें हमारे पूर्वजों द्वारा सौंपी गई है।

सिटिपॉन्ग की डुरियन खेती में केला, पपीता, रबबुट्टान, मैंगोस्टेन, काली मिर्च, नारियल और लोनगों पौधों भी हैं, जो उसकी डुरियन पैदावार के बीच आमदनी मुहैया करवाते हैं। हाल ही में उसने कुछ कॉफ़ी लगाई है और उसके पास रबड़ के वृक्षों का एक छोटा सा इलाका भी है जो उसकी आमदनी में वृद्धि करता है। हवा को रोकने के लिए उसने बांस भी लगाएं हैं और बांस के लंबे तने उसे केले के वृक्षों (जब इन पर फल लगते हैं) के लिए सहारे और साथ ही फलों को चुनने के लिए भी सामग्री प्रदान करते हैं।

“यह बहुत ही होशियार बग़ीचा है,” संचार और विकास ज्ञान प्रबंधन केंद्र के निदेशक (CCDKM) प्रोफेसर कमोलरात इन्तारातैत का कहना है, जिनके संगठन ने सिटिपॉन्ग के जैविक खेती तथा विपणन के ज्ञान में सुधार करने के लिए ICTs अपनाने में मदद की है।

“CCDKM का तत्वज्ञान है कि हम सीमांत लोगों के साथ काम करते हुए प्रत्ययात्मक आधार एकीकरण और साझेदारी मॉडल के साथ काम करते हैं,” खेत के दौरे पर IDN के साथ जाते हुए, कमोलरात ने बताया। “आमदनी उत्पन्न करने वाली परियोजनाओं का सृजन करना सबसे महत्वपूर्ण है… अधिकांश थाई लोग छोटे किसान हैं, इसलिए हम विचार कर रहे हैं कि थाईलैंड में स्मार्ट खेती को सुविधाजनक बनाने के लिए ICT का उपयोग कैसे करें।”

कमोलरात ने बात को आगे बढ़ाते हुए बताया कि किसानों को ICT साक्षरता और जानकारी तक कैसे पहुंचना है के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। “इसके बाद खेत उत्पाद की कीमत का (पता करने के लिए) इस जानकारी का विश्लेषण कैसे करें इसके लिए हम उन्हें प्रशिक्षित करते हैं, और वे सरकार, निजी और निर्यात बाजारों से कई खेत मूल्य निर्धारण [मॉडल]… तक पहुंच प्राप्त करते हैं।”

“हम दिखाते हैं कि कैसे ICT का इस्तेमाल जैविक पारिस्थितिक खेती प्रणालियों के साथ किया जा सकता है … स्मार्ट खेती केवल ICTs से संबंधित नहीं है, परन्तु अपने खेतों के प्रबंधन में मानसिकता तथा अभिनव प्रक्रियाओं से भी संबंधित है।” वर्ष 2015 के अंत में, थाई कार्यबल का लगभग 35 प्रतिशित खेती में लगा हुआ था, मुख्यतः छोटे पैमाने पर ग्रामीण किसानों के रूप में। थाईलैंड के ग्रामीण किसानों की रक्षा करने और उनकी आजीविका को स्थायी बनाने के लिए, थाई सरकार ने ‘पर्याप्तता अर्थव्यवस्था’ के तत्वज्ञान के अंतर्गत हाल के वर्षों में कई कार्यक्रम पेश किए हैं’, जिन्हें पहली बार वर्ष 1998 में दिवंगत राजा भुमीबोल अदुलयादेज द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जब राज्य को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था।

थाईलैंड की गहरी बौद्ध परंपरा का उपयोग करते हुए यह अवधारणा ‘मध्य मार्ग’ – संतुलन के महत्व – पर जोर देती है। मानव विकास के साथ अपने मुख्य उद्देश्य के रूप में निरंतरता तथा पर्याप्तता दोनों इस तत्वज्ञान की मूल बातें हैं। प्रतिस्पर्धा और शोषण की बजाय (ज्ञान और संसाधन) साझाकरण इस प्रणाली के महत्वपूर्ण पहलू हैं। इस प्रकार थाई सरकार, वर्ष 1990 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्था में प्रमुखता से सामने आये ‘जोखिम प्रबंधन’ और ‘हितधारक’ तत्वज्ञान के समान विचारों का उपयोग कर क्षेत्र-विशिष्ट किसानों की सहकारी समितियों के गठन को बढ़ावा दे रही है।

ग्रामीण क्षेत्र की आजीविका में सुधार लाने के लिए, थाई सरकार ने इस तत्वज्ञान के तहत कई उपाय किए हैं, जैसे कि गांव की निधि के माध्यम से ऋण और प्रचारत जमीनी परियोजनाओं के माध्यम से लोगों की आजीविका में सुधार के लिए गांव के विकास कार्यक्रम। “थाई GAP” मानक, जो अच्छी कृषि पद्धतियों (GAP) के अनुसार फलों और सब्जी सुरक्षा के लिए एक प्रणाली है, को विकसित करने के लिए प्रचारत (“लोगों की स्थिति”) दृष्टिकोण के तहत अभियानों में से एक अभियान एक ऐसी योजना है जिसे कास्सेटर्ट विश्वविद्यालय और थाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ विकसित किया गया था, जो भूमि प्रबंधन, मिट्टी, रोपाई, जल प्रबंधन, उर्वरक, कीट प्रबंधन, उपभोक्ता सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की गुणवत्ता को ध्यान में रखती है।

यह पहल डिजिटल युग में खेती क्षेत्र को सुधारने का एक तरीका है  जहां उपभोक्ता स्वस्थ उत्पाद चाहते हैं, वे सीधे किसानों तक पहुंच सकें। इस GAP प्रमाणपत्र को प्राप्त करने के लिए CCDKM ‘स्मार्ट खेती’ के साथ काम कर रहा है और सिटिपॉन्ग का खेत उन खेतों में से एक है जिसने यह दर्जा हासिल किया है। अधिकांश GAP (प्रमाणीकृत) किसानों के लिए, उनके उत्पाद मांग के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि लोग अब अपने स्वास्थ्य के बारे में बहुत चिंतित हैं,” कमोलरात ने कहा। हालाँकि, इस खेत में डुरियन तथा केलों को पहले से ही ऑर्डर मिल चुका है … अभी डुरियन बग़ीचे को तीन महीने पहले ही बुक कर लिया गया है।“

“हमारा खेत बहुत आत्मनिर्भर है। अभी मांग इतनी अधिक है कि हम सारी मांगों को पूरा नहीं कर सकते,” सिटिपॉन्ग की पत्नी नारिसरा पुष्टि करती हैं। वह बताती हैं कि खेती की पर्याप्तता परिवार श्रम को अधिकतम करने के जरिए हासिल की गई है जिसमें उसकी बेटी और दामाद भी शामिल हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि ICT के उपयोग ने परिवार को अपनी उपज को लाभ पर बेचने और अपने फलों के लिए उच्च मूल्य प्राप्त करने में मदद की है, विशेष रूप से सुपरमार्किट उनके केलों को प्रीमियम मूल्य पर खरीद रहे हैं “GAP प्रमाणीकरण यह इंगित करता है कि यह उत्पाद निर्यात गुणवत्ता है।”

सिटिपॉन्ग ने IDN को बताया कि डुरियन फसल से प्राप्त आमदनी को वह “बैंक में” रखने में सक्षम है क्योंकि उसे पूरे साल भर अन्य फसलों जैसे केला, काली मिर्च तथा नारियल से पर्याप्त आमदनी प्राप्त होती रहती है।

सिटिपॉन्ग अब इस क्षेत्र में ई-कृषि इंजीलवादी बन गया है, और वह अन्य किसानों को जैविक खेती की पर्याप्तता और चिरस्थायी तत्वज्ञान के लिए परिवर्तित कर रहा है। उसने बताया कि भले ही आप बाहर से उर्वरक खरीदें, जैविक उर्वरक की लागत रासायनिक समकक्ष उर्वरक की लागत का एक तिहाई होती है, इसलिए जब अन्य किसान उसके खेत का दौरा करते हैं और उसकी आरामदायक जीवन शैली को देखते हैं तो उनके लिए बदलना कठिन नहीं होता।

“अन्य लोगों को बताने के लिए यह एक प्रायोगिक खेत है कि यदि आप पति-पत्नी की एक टीम हैं तो आपका भी अपना खेत हो सकता है,” कमोलरात ने कहा। “हर समय अपनी फसल की योजना बनाना महत्वपूर्ण है।“

इस बीच, थाई सरकार ने विदेशों में अपने पर्याप्तता अर्थव्यवस्था विकास तत्वज्ञान को विदेशों में फैलाना शुरू कर दिया है। जब जनवरी 2016 में थाईलैंड ने 77 विकासशील देशों के समूह की अध्यक्षता की, तब विदेश मंत्री डॉन प्रमुदविनाई ने सदस्य राज्यों को बताया कि समग्र कृषि प्रबंधन पर ‘पर्याप्तता अर्थव्यवस्था’ मॉडल को अधिकतर सभी 17 स्थायी विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए अपनाया जा सकता है। [IDN-InDepthNews – 28 जनवरी 2018]

* स्मार्ट खेत’ की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए IDN प्रोफेसर कमोलरात इन्तारातैत और CCDKM को धन्यवाद देना चाहता है।

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