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संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष ने भ्रांतियों एवं झूठ को अस्वीकार करने हेतु एक भावपूर्ण अनुनय किया

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जय रामचंद्रन द्वारा

न्यू यॉर्क (IDN) – संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गटेरेस ने एक आश्चर्यजनक नाटकीय रूख अपनाते हुए, विशेष रूप से दुनिया के मूलभूत आवश्यकताओं से वंचितों के बारे में दोषपूर्ण तरीके से फैलाई जाने वाली “भ्रांतियों एवं झूठ” की श्रंखला की आलोचना की है। The COVID-19 विश्वव्यापी महामारी ने सभी झूठ उजागर कर दिए हैं जैसे कि यह झूठ कि मुक्त बाज़ार सभी तक स्वास्थ्य-सेवाएं पहुँचा सकते हैं; यह झूठ कि निःशुल्क सेवा कार्य, कोई कार्य नहीं होता है; यह भ्रम कि हम नस्लभेद से मुक्त हो चुकी दुनिया में रहते हैं; यह मिथक कि हम सब एक जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं”।

इस भ्रामक मिथक को उजागर करते हुए, वे कहते हैं: “यद्यपि हम सब एक ही सागर में तैर रहे हैं, यह स्पष्ट है कि कुछ सूपरयाट में सवार हैं जबकि अन्य नाव के अवशेषों के सहारे तैर रहे हैं।”

इस समय चल रही विश्व्यापी महामारी को मद्देनज़र रखते हुए, पहली बार ऑनलाइन आयोजित हुए, 2020 नेल्सन मंडेला वार्षिक व्याख्यान के दौरान ये टिप्पणियाँ कड़ा प्रहार करने वाले भाषण का मुख्य अंश थीं। अफ्रीकी आदर्श पुरुष और दक्षिण अफ्रीका के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए पहले राष्ट्रपति के जन्मदिन पर, नेल्सन मंडेला फाउंडेशन के द्वारा वार्षिक रूप से आयोजित की जाने वाली व्याख्यान श्रृंखला का उद्देश्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों पर परिचर्चा करने के लिए प्रख्यात हस्तियों को आमंत्रित करके संवाद को बढ़ावा देना होता है।

उन्होंने कहा, दशकों तक नज़रअंदाज़ किए गए वैश्विक खतरे – विशेषकर अपर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियाँ, सामाजिक सुरक्षा में कमी, ढाँचागत असमानताएं, पर्यावरणीय अपकर्ष, और जलवायु संबंधी संकट – सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं। कमज़ोर सबसे अधिक पीड़ित है: जो गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, वृद्ध लोग, और अक्षमता और पूर्ववर्ती रोगों से ग्रसित लोग।

श्रीमान गटेरेस ने ध्यान दिलाया कि असमानता के कई रूप होते हैं। आय में अंतर बहुत बड़ा है: दुनिया के सबसे अमीर 26 लोगों के पास विश्व की आधी आबादी के बराबर धन-संपत्ति है। दूसरी ओर, जीवन में मिलने वाले अवसर लिंग, परिवार और नस्ली पृष्ठभूमि, जाति और व्यक्ति के अक्षमता से ग्रसित होने या नहीं होने पर निर्भर करते हैं। 

सभी को परिणामों को भुगतना पड़ता है, क्योंकि असमानता के उच्च स्तर “आर्थिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, वित्तीय संकट, अपराधों में वृद्धि और ख़राब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य” से जुड़े हुए हैं।

अमानवीय उपनिवेशवाद पर आते हुए, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि आज का नस्लभेद विरोधी आंदोलन असमानता के ऐतिहासिक स्रोत की ओर इशारा करता है: “विश्व के उत्तरी हिस्से, विशिष्ट रूप से मेरे स्वयं के महाद्वीप यूरोप, ने हिंसा और अवपीड़न के जरिये, विश्व के अधिकतर दक्षिणी भाग पर उपनिवेशीय शासन स्थापित किया।”

जिसके परिणामस्वरूप देशों के भीतर और बीच में बड़ी असमानताएं, इनमें अटलांटिक के उस पार गुलामों का व्यापार और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद करने वाला शासन शामिल हैं, उत्पन्न हो गईं और उपनिवेशीय शासन आर्थिक व सामाजिक अन्याय, घृणापूर्ण अपराध व अज्ञातजनभीती, संस्थागत नस्लभेद की मौजूदगी, और गोरों की सर्वोच्चता की एक विरासत छोड़ गया।

नस्लभेद और उपनिवेशवाद की विरासत पर आगे बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष ने कहा कि जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के परिणामस्वरूप अमेरिका से पूरी दुनिया में फैल जाने वाला नस्लभेद विरोधी आंदोलन “एक और चिन्ह है कि लोग अब और अधिक सहन नहीं कर सकते हैं: त्वचा के रंग के आधार पर लोगों से अपराधियों जैसा बर्ताव करने वाली असमानता और भेदभाव को अब और अधिक सहन नहीं किया जा सकता है; लोगों को उनके मूलभूत मानवाधिकार से वंचित करने वाले ढाँचागत नस्लभेद और सुनियोजित अन्याय को अब और अधिक सहन नहीं किया जा सकता है”।

श्रीमान गटेरेस ने ज़ोर देते हुए कहा कि, अफ्रीका दो बार पीड़ित हुआ है। पहले, उपनिवेशीय परियोजना के लक्ष्य के रूप में। दूसरे, अधिकतर अफ्रीकी देश अपनी स्वतंत्रता प्राप्त कर पाए उससे पहले, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निर्मित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में अफ्रीकी देशों को अत्यंत न्यून प्रतिनिधित्व प्राप्त होने के कारण।

विश्व-स्तर पर शासन में असमानता का संदर्भ देते हुए, उन्होंने कहा: सात दशक से अधिक समय पहले सबसे ऊपर उभर कर आने वाले राष्ट्रों ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सत्ता संबंधों में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक सुधारों पर विचार करने से इनकार कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् और ब्रेटन वुड्स तंत्र के बोर्ड का संयोजन और उनमे मताधिकार इसका एक उदाहरण हैं। असमानता की शुरुआत शीर्ष पर होती है: वैश्विक संस्थाओं में। इनमे सुधार करके असमानता को दूर करने की शुरुआत होना ज़रूरी है।

पितृसत्ता के गरमागरम मुद्दे को छूते हुए, संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष ने कहा: “हम पुरुषों के वर्चस्व वाली संस्कृति के प्रभुत्व वाली एक पुरुष-प्रधान दुनिया में रहते हैं। हर जगह, महिलाओं को पुरुषों से कमतर समझा जाता है, बस केवल इसलिए कि वे महिला हैं। असमानता और भेदभाव मानदंड हैं। महिलाओं के साथ हिंसा, महिलाओं की ह्त्या सहित, महामारी के स्तर पर है।”

श्रीमान गटेरेस ने, स्वयं को “महिलावादी होने पर गर्व का अह्सास करने वाला” व्यक्ति बताते हुए, कहा कि वे लिंग समानता के प्रति प्रतिबद्ध हैं, और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी वरिष्ठ पदों पर लिंग समानता को एक वास्तविकता बनाया है। उन्होंने स्पॉटलाइट इनिशिएटिव के लिए ग्लोबल चैंपियन के रूप में दक्षिण अफ्रीका की रग्बी की अंतरराष्ट्रीय कप्तान, सिया कोलिसा, को नियुक्त करने की घोषणा भी की है, जिसका लक्ष्य महिलाओं व लड़कियों के साथ होने वाली हिंसा से लड़ने के लिए पुरुषों को साथ में जोड़ना है।

भारी संख्या में पुरुषों के प्रभुत्व वाले तकनीकी उद्योग में ना केवल दुनिया की आधी विशेषज्ञता और दृष्टिकोण की कमी है। बल्कि यह ऐसे एल्गोरिदम का भी प्रयोग कर रहा है जिससे लिंग और नस्ल आधारित भेदभाव को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है। डिजिटल बँटवारा साक्षरता से लेकर स्वास्थ्य-सेवा तक, शहर से लेकर गाँव तक, किंडरगार्टन से लेकर महाविद्यालय तक, सामाजिक एवं आर्थिक बँटवारे को भी बल प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि, वे उन लोगों की सराहना करते हैं जो असमानता के विरुद्ध लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े हैं, और ना केवल जलवायु हेतु काम करने का, बल्कि जलवायु न्याय हेतु भी आह्वान करते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राजनीतिक नेताओं को अपनी अभिलाषाओं को ऊँचा उठाना चाहिए, व्यवसायियों अपनी दृष्टि को ऊपर उठाना चाहिए, और सभी जगह के लोगों को अपनी आवाज़ों को बुलंद करना चाहिए। “एक बेहतर रास्ता मौजूद है, और हमें उसपर चलना चाहिए।”

समाजों के भीतर एक नया सामाजिक करार युवा लोगों को सम्मान के साथ जीवन जीने में सक्षम बनाएगा; सुनिश्चित करेगा कि महिलाओं के पास पुरुषों के समान संभावनाएं एवं अवसर हों; और सभी प्रकार के रोगियों, कमज़ोर लोगों, और अल्पसंख्यकों की रक्षा करेगा। उन्होंने शिक्षा और डिजिटल तकनीक की वकालत की, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि इनका दो बड़े सक्षम बनाने वालों और समानता प्रदान करने वालों के रूप में होना आवश्यक है।

इस पृष्ठभूमि के निमित्त, श्रीमान गटेरेस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक विस्तृत और न्यायपूर्ण रूप में सत्ता, संपदा और अवसरों को साझा करना सुनिश्चित करने के लिए न्यू ग्लोबल डील हेतु आह्वान किया। उन्होंने कहा, विश्व स्तर पर शासन का नया मॉडल, वैश्विक संस्थानों में पूर्ण, समावेशी और समान भागीदारी पर आधारित होना आवश्यक है। एक आह्वान में, उन्होंने वैश्विक स्तर पर निर्णय-निर्माण में विकासशील दुनिया को और भी अधिक मज़बूत आवाज़ प्रदान करने की मज़बूती से वकालत की।

समकालीन असमानता की ओर आते हुए, श्रीमान गटेरेस ने कहा कि व्यापार के विस्तार, और तकनीकी प्रगति ने “आय के वितरण में एक अप्रत्याशित बदलाव” हेतु योगदान किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि, कम-कुशल मार को झेल रहे हैं, और नई तकनीकों, स्वचालन, अन्य देशों में निर्माण करने और श्रमिक संगठनों के अंत के कारण काम हाथ से छूट जाने की स्थिति का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, इस बीच, कर में बड़ी रियायतों, कर देने में टाल-मटोल करने और कर नहीं देने, साथ में कॉर्पोरेट कर की न्यून दरों, का यह तात्पर्य है कि असमानता को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, और स्वास्थ्य-सेवाओं के संसाधनों में कमी उत्पन्न होगी।

श्रीमान गटेरेस ने कहा, कुछ देशों ने संपन्न एवं बड़े-बड़े लोगों से संबंध रखने वाले लोगों को कर प्रणालियों से लाभ उठाने की सुविधा प्रदान की है, लेकिन “हर किसी को अपने न्यायोचित हिस्से का भुगतान करना चाहिए”, और यह ज़रूरी है कि सरकारें भ्रष्टाचार के “दुष्चक्र”, जो सामाजिक मानदंडों व विधि के शासन को कमज़ोर करता है, से निपटें तथा कर के भार को वेतनभोगी लोगों पर से हटाकर कार्बन का उत्सर्जन करने वालों पर लगाएं, इससे जलवायु संकट से निपटने में मदद मिलेगी। [IDN-InDepthNews – 19 जुलाई 2020]

फोटो: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गटेरेस वार्षिक नेल्सन मंडेला व्याख्यान करते हुए। सौजन्य से: UN Photo/Eskinder Debebe

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